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Monday, July 21, 2014

सरल प्रयोग

- भगवान धन्वंतरि सुश्रुतजी से कहते हैं : “मनुष्य को सदा ‘हिताशी’ (हितकारी पदार्थो को ही खानेवाला), ‘मिताशी’ (परिमित भोजन करनेवाला) तथा ‘जीर्णाशी’ होना चाहिए अर्थात पहले खाये हुए अन्न का परिपाक हो जाने पर ही पुन: भोजन करना चाहिए |’
- बेल के पत्ते, धनिया व सौंफ को समान मात्रा में लेकर कूट लें | १० से २० ग्राम यह चूर्ण शाम को १०० ग्राम पानी में भिगो दें और सुबह पानी को छानकर पी जायें | इसी प्रकार सुबह भिगोकर शाम को पियें | इससे स्वप्नदोष कुछ ही दिनों में ठीक हो जायेगा | यह प्रमेह एवं स्त्रियों के प्रदर में भी लाभदायक है |
- घी तथा दूध से शिवलिंग को स्नान कराने से मनुष्य रोगहीन हो जाता है |
- खांडयुक्त दूध पीनेवाला सौ वर्षो की आयु प्राप्त करता है |
- दीर्घजीवी होने की इच्छावाले को सुबह खाली पेट १० से १५ ग्राम त्रिफला घृत के साथ ५ से १० ग्राम शहद का सेवन करना चाहिए |

-ऋषिप्रसाद – जुलाई २०१४ से

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