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Monday, December 29, 2014

कुक्कुटासन

लाभ – इसके अभ्यास से हाथ, कोहनी, सम्पूर्ण भुजाओं में असीम बल आता है, कंधों की मांसपेशियों को शक्ति प्राप्त होती है एवं वक्ष का विस्तार होता है | मूलाधार चक्र के उद्दीपन के कारण इसका उपयोग कुंडलिनी जागरण के लिए किया जाता है | जिनके कार्य में हाथों पर अधिकांश जोर पड़ता हो उन्हें यह आसन अधिक करना चाहिए | इस आसन के अभ्यास से आलस्य कम आता है और थोड़े ही सोने से अधिक विश्राम मिलता है | कुक्कुट (मुर्गे) की भाँती ब्राह्ममुहूर्त में ही निद्रा खुल जाती है | जिनका सीना कमजोर या मांसहिन हो और जिनकी बाहू टेढ़ी हो, उनको इस आसन का अभ्यास अवश्य करना चाहिए | लिखते समय जिनके हाथों में कम्पन हो अथवा थक जाते हों उनके लिए भी यह आसन लाभदायी है |



विधि –
पद्मासन में बैठकर हाथों को पिंडलियों एवं जाँघों के बीच से निकाल लें | हथेलियों को जमीन पर दृढ़ता से इस प्रकार रखें कि उँगलियाँ समाने की ओर रहें | हाथ के दोनों पंजों के बीच ४ अंगुल का अंतर रहे | हाथों को सीधा एवं आँखों को सामने किसी बिंदु पर स्थिर रखें और शरीर को धीरे-धीरे जमीन से ऊपर उठाते हुए जाँघों को कोहनियों तक लायें | पूरा शरीर केवल हाथों पर संतुलित रहना चाहिए | पीठ सीधी रखें | जब तक आराम से रह सकते हों, तब तक अंतिम स्थिति में रहें | फिर जमीन पर वापस आ जायें और धीरे-धीरे हाथों एवं पैरों को शिथिल बनायें | पैरों की स्थिति बदलकर इस अभ्यास को दोहराये |

श्वास : शरीर को ऊपर उठाते हुए श्वास छोड़ें | अंतिम स्थिति में सामान्य श्वासोच्छ्वास | शरीर को नीचे लाते हुए श्वास छोड़ें |

ऋषिप्रसाद – दिसम्बर २०१४ से

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