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Tuesday, March 10, 2015

औषधीय गुणों से भरपूर सहजन

सहजन (मुनगा) की फली खाने में मधुर कसैली एवं स्वादिष्ट तथा पचने में हलकी, गर्म तासीरवाली एवं जठराग्नि प्रदीप्त करनेवाली होती है | इसके फुल तथा कोमल पत्तों की सब्जी बनायी जाती है | सहजन कफ अता वायु शामक होने से श्वास, खाँसी, जुकाम आदि कफजन्य विकारों तथा आमवात, संधिवात, सुजनयुक्त दर्द आदि वायुरोंगों में विशेष पथ्यकर हैं | यकृत एवं तिल्ली वृद्धि, मूत्राशय एवं गुर्दे की पथरी, पेट के कृमि, फोड़ा, मोटापा, गंडमाला (कंठमाला), गलगंड (घेघा) – इन व्याधियों में इसका सेवन हितकारी हैं | सहजन में विटामिन ‘ए’ प्रचुर माता में पाया जाता हैं आयुर्वेद के मतानुसार सहजन वीर्यवर्धक तह ह्दय एवं आँखों के लिए हितकर हैं |

औषधीय प्रयोग –

- सहजन की पत्तियों के ३० मि.ली. रस में १ चम्मच शहद मिलाकर रात को सोने से पूर्व २ माह तक लेने से रतौधी में लाभ होता है | यह प्रयोग सर्दियों में करना हितकर हैं |

- लोह तत्त्व की कमी से होनेवाली रक्ताल्पता (एनीमिया) व विटामिन ‘ए’ की कमी से होनेवाले अंधत्व में पत्तियों की सब्जी (अल्प मात्रा में ) लाभकारी हैं |

- पत्तों को पानी में पीसकर हकला गर्म करके जोड़ों पर लगाने से वायु की पीड़ा मिटती हैं |

- सहजन के पत्तों का रस लगाकर सिर धोने से बालों की रुसी में लाभ होता हैं |

सावधानी – सब्जी के लिए ताज़ी एवं गुदेवाली फली का ही प्रयोग करें | सुखी बड़े बीजवाली एवं ज्यादा रेशेवाली फली पेट में अफरा करती हैं | गर्म (पित्त) प्रकृति के लोगों के लिए तथा पित्तजन्य विकारों में सहजन निषिद्ध हैं | सहजन की पत्तियों का उपयोग पित्त-प्रकृतिवाले व्यक्ति वैद्यकीय सलाह से करें | गुर्दे की खराबी में इसका उपयोग नहीं करना चाहिए |

- ऋषिप्रसाद – फरवरी २०१५ से

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