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Monday, June 27, 2016

निरोगता के लिए जरूरी

         
-  शक्कर की बनी मिठाइयाँ, चाय, कॉफ़ी, अति खट्टे फल, अति तीखे, अति नमकयुक्त तथा उष्ण – तीक्ष्ण व नशीलें पदार्थों के सेवन से वीर्य में दोष आ जाते हैं |

      - प्रात: उठते ही ६ अंजलि जल पियो | सूर्यास्त तक २ से ढाई लीटर जल अवश्य पी जाओ | गर्मियों में व जब शरीर से श्रम करो, तब इससे अधिक जल की आवश्यकता होती है |

      - जिन सब्जियों का छिलका बहुत कड़ा न हो, जैसे गिल्की, परवल, टिंडा आदि, उन्हें छिलकेसहित खाना अत्यंत लाभकारी है | जिन फलों के छिलके खा सकते हैं, जैसे सेवफल, चीकू आदि, उन्हें खूब अच्छी तरह धो के छिलकों के साथ ही खाना चाहिए | दाल भी छिलकेसहित खानी चाहिए | चोकर तथा छिलके में पोषक तत्त्व होते हैं और इनसे पेट साफ़ रहता है | सब्जी, फल आदि धोने के बाद कीटनाशक आदि रसायनों का अंश छिलकों पर न बचा हो इसका ध्यान रखें, अन्यथा नुकसान होगा | सेवफल को चाकू से हलका – सा रगड़कर उस पर लगी मोम उतार लेनी चाहिए |

      -  घी – तेल में तले हुए पकवानों का कभी – कभी ही सेवन करना चाहिए | नित्य या प्राय: तली हुई पुडी –पकवान, पकौड़े, नमकीन खाने से कुछ दिनों में पेट में कब्ज रहने लगेगा, अनेक बीमारियाँ बढ़ेंगी |

     - खटाई में नींबू व आँवले का सेवन उत्तम है | कोकम व अनारदाने का उपयोग अल्प मात्रा में कर सकते हैं |        अमचुर हानिकारक है |

     - भोजन इतना चबाना चाहिए कि गले के नीचे  पानी की तरह पतला हो के उतरे | ऐसा करने से दाँतो का काम   आँतों को नहीं करना पड़ता | इसके लिए बार – बार सावधान रहकर खूब चबा के खाने की आदत बनानी   पड़ती है |

      -  अच्छी भूख लगने पर ही भोजन करें, बिना भूख का भोजन विकार पैदा करता है |

      -  भोजन के बाद स्नान नहीं करना चाहिए | अधिक यात्रा के बाद तुरंत स्नान करने से शरीर अस्वस्थ हो जाता    है | थोड़ी देर आराम करके स्नान कर सकते हैं |

      
                                                                                                                 स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जून २०१६ से 

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