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Tuesday, July 5, 2016

वर्षा ऋतू में सेहत की देखभाल

वर्षा ऋतू में रोग, मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्तप्रकोप का बाहुल्य होता है | ८० प्रकार के वायुसंबंधी व ३२ प्रकार के पित्तसंबंधी रोग होते हैं | वात और पित्त जुड़ता है तो ह्रदयाघात ( हार्ट – अटैक ) होता है और दूसरी कई बीमारियाँ बनती हैं | इनका नियंत्रण करने के लिए बहुत सारी दवाइयों की जरूरत नहीं है  | 

समान  मात्रा में हरड व आँवला, थोड़ी – सी सोंठ एवं मिश्री का मिश्रण बनाकर घर में रख लो | 

आश्रम के आँवला चूर्ण में मिश्री तो है ही | आँवला, मिश्री दोनों पित्तशामक हैं | सोंठ वायुशामक है और हरड पाचन बढ़ानेवाली है | 

अगर वायु और पित्त है तो यह मिश्रण लो और अकेला वायुप्रकोप है तो हरड में थोडा सेंधा नमक मिलाकर लो अथवा हरड घी में भूनकर लो |

जो वर्षा ऋतू में रात को देर से सोयेंगे उनको पित्तदोष पकड़ेगा | इन दिनों में रात्रि जल्दी सोना चाहिए, भोजन सुपाच्य लेना चाहिए और बादाम, काजू, पिस्ता, रसगुल्ले, मावा, रबड़ी दुश्मन को भी नहीं खिलाना, बीमारी लायेंगे |

पाचन कमजोर है, पेट के खराबियाँ हैं तो ३० ग्राम तुलसी- बीज जरा कूट दो, फिर उसमें १० - १०  ग्राम शहद व अदरक का रस मिला दो | आधा – आधा ग्राम की गोलियाँ बना लो | ये दो गोली सुबह ले लो तो कैसा भी कमजोर व्यक्ति हो, भूख नहीं लगती हो, पेट में कृमि की शिकायत हो, अम्लपित्त ( एसिडिटी ) हो, सब गायब ! 
बुढ़ापे को रोकने में और स्वास्थ्य की रक्षा करने में तुलसी के बीज की बराबरी की दूसरी चीज हमने नहीं देखी |
रविवार को मत लेना बस |

जिसको पेशाब रुकने की तकलीफ है वह जौ के आटे की रोटी अथवा मूली खाये, अपने – आप तकलीफ दूर हो जायेगी | 

स्वस्थ रहने के लिए सूर्य की कोमल किरणों में स्नान सभी ऋतूओं में हितकारी है | 

अश्विनी मुद्रा वर्षा ऋतू की बीमारियों को भगाने के लिए एक सुंदर युक्ति है | 

( विधि : सुबह खाली पेट शवासन में लेट जायें | पूरा श्वास बाहर फेंक दें और ३० – ४० बार गुदाद्वार का आकुंचन – प्रसरण करें, जैसे घोड़ा लीद छोड़ते समय करता है | इस प्रक्रिया को ४ – ५ बार दुहरायें | )

बड़ी उम्र में, बुढ़ापे में आम स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं लेकिन जो कलमी आम हैं वे देर से पचते हैं और थोडा वायु करते हैं | लेकिन गुठली से जो पेड़ पैदा होता है उसके आम ( रेशेवाले ) वायु – नाश करते हैं, जल्दी पचते हैं और बड़ी उम्रवालों के लिए अमृत का काम करते हैं | कलमी आम की अपेक्षा गुठली से पैदा हुए पेड़ के आम मिलें तो दुगने भाव में लेना भी अच्छा है |


स्त्रोत – ऋषिप्रसाद – जुलाई २०१६ से 

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