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Wednesday, December 14, 2016

प्राणायाम के लाभ

पूज्य बापूजी कहते हैं : ‘बहुत-से ऐसे रोग होते हैं जिनमें कसरत करना सम्भव नहीं होता लेकिन प्राणायाम किये जा सकते हैं | प्राणायाम करने से –

१]  रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है और इस शक्ति से कई रोग्कारी जीवाणु मर जाते हैं |
२] विजातीय द्रव्य नष्ट हो जाते हैं और सजातीय द्रव्य बढ़ते हैं | इससे भी कई रोगों से बचाव हो जाता है |
३] वात – पित्त – कफ के दोषों का शमन होता है | अगर प्राण ठीक से चलने लगेंगे तो शरीर में वात-पित्त-कफ आदि के असंतुलन की जो गड़बड़ी है, वह ठीक होने लगेगी |

जैसे उद्योग या पुरुषार्थ करने से दरिद्रता नहीं रहती, वैसे ही भगवत्प्रीत्यर्थ प्राणायाम करने से पाप नहीं रहते | जैसे प्रयत्न करने से धन मिलता है, वैसे ही प्राणायाम करने से आंतरिक  सामर्थ्य, आंतरिक बल मिलता है, आरोग्य व प्राणबल, मनोबल और बुद्धिबल बढ़ता है |

जो लोग प्राणायाम करते हैं, गहरा श्वास लेते हैं उनके फेफड़ों के निष्क्रिय पड़े वायुकोशों को प्राणवायु मिलने लगती है और वे सक्रिय हो उठते हैं | फलत: शरीर की कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है तथा रक्त शुद्ध होता है | नाड़ियाँ भी शुद्ध रहती हैं, जिससे मन भी प्रसन्न रहता है | इसलिए सुबह, दोपहर और शाम को संध्या के समय प्राणायाम करने का विधान है | प्राणायाम से मन पवित्र व एकाग्र होता है, जिससे मनुष्य में बहुत बड़ा सामर्थ्य आता है |

यदि कोई व्यक्ति १०- १० प्राणायाम तीनों समय करे और शराब, मांस, बीड़ी या अन्य व्यसनों व फैशन में न पड़े तो ४० दिन में तो उसको अनेक अनुभव होने लगेंगे | शरीर का स्वास्थ्य व मन बदला हुआ मिलेगा, जठराग्नि प्रदीप्त होगी, आरोग्यता व प्रसन्नता बढ़ेगी और स्मरणशक्तिवाला प्राणायाम करने से स्मरणशक्ति में जादुई विकास होगा |

प्रात: ३ से ५ बजे तक ( ब्राह्ममुहूर्त के समय ) जीवनीशक्ति विशेषरूप से फेफड़ों में क्रियाशील रहती है | इस समय प्राणायाम करने से फेफड़ों की कार्यक्षमता का खूब विकास होता है | शुद्ध वायु (ऑक्सीजन) और ऋण आयन विपुल मात्रा में मिलने से शरीर स्वस्थ व स्फूर्तिमान होता है |

सावधानी : ज्यादा प्राणायाम करते रहेंगे तो पित्त चढ़ जायेगा और फिर सूर्यकिरणों के समक्ष खुले में बैठ के प्राणायाम किये तो भी पित्त चढ़ जायेगा | आपके स्वभाव में गुस्सा आ जाय, मूँह सूखने लग जाय तो समझो पित्त अधिक है | और इस कारण बार – बार ठंडा पानी पियोगे तो फिर जठराग्नि मंद हो जायेगी, जल्दी बुढापा आ जायेगा |  आम आदमी जो बेचारा ब्रह्मचर्य पाल नहीं पाता, देशी गाय के शुद्ध घी का उपयोग कर नही सकता, वह यदि अधिक प्राणायाम करे तो हानि होगी |


स्त्रोत – ऋषिप्रसाद, दिसम्बर २०१६ से   

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